मैं कुछ चीजों पर कविता नहीं लिख सकता
फुदकती गिलहरियों
कूकती कोयल
आंगन में रखे धान का गट्ठर,पुआल
जलावन की लकड़ियां
भैंस का गोबर
चावल की रोटी
आम का बगीचा
तालाब-पगडंडी
लहलहाते खेत
खेतों में मजदूर
पेड़ों की छाया
ढंडी हवा में सूखता पसीना
कबड्डी
अंजुल भर कर पानी पीना
पेड़ के नीचे सोना
अंगोछा का मुरैठा
घंटी की टनटनाहट, बैलों की
और भी ढेर सारी चीजें
कई ऐसी भी हैं जिन्हें भूलने से डरता हूं
चाहता हूं पर लिख नहीं पाता इनमें
हां......
गांव का मंदिर
बड़ा सा आंगन
चाचा के साथ साइकिल पर जाना
चप्पल की चोरी,पिटाई का डर
बदमाशी-लुकाछिपी
मां के हाथ से खाना, मार भी
अब और याद करने से जी.....
मैं वर्तमान में लौटता हूं
सभी में जीवन था
अब सभी यादें हैं
अब वो आस-पास हैं
उनमें जीवन ढूंढता हूं
जीवन है भी
पैसे की चाह में लगाया गया मनी प्लांट
एलार्म घड़ी
तेजी से गुजरते चेहरे
ठिठ्कन भी नहीं हैं जिनमें
आधी हंसी
टीवी पर तेजी से भागती तस्वीरें
दफ्तर के कंप्यूटर
कंप्यूटर की तस्वीरें
घनघनाते फोन
फड़फड़ाते पन्ने
हिलते हुए बेजान हाथ
इनमें से किसी चीज पर फिर से सोचना नहीं चाहता
कविता भी नहीं लिख सकता इन पे
इनमें से कोई चीज अपनी सी नहीं
बचपन से ताल्लुक किसी का नहीं
दौड़-धूप-अफसोस
कार-घर और पूरी दुनिया नहीं होने
विजयी भाव
राह चलते मुसाफिर के बगल से सर्र से स्कूटर के गुजरने का
और आखिर में
पत्नी का प्यार
पत्नी से प्यार
प्यार में चरम
उसका खिलखिलाना
उसका रुठना
फिर गले से लिपटना
उस समय भूल जाता हूं सब कुछ
हां सब कुछ
बच्चों की कल्पना
उसके साथ खेलने को सोचना
सभी खुशी देती हैं
लेकिन उसकी आंखें
संदेह से पलटती आंखें
फिर मैं लिखना चाहता हूं कविता
फुदकती गिलहरियां
पगडंडी
बचपन से जुड़ी हर चीज पर
पर लिख नहीं पाता हूं.....
इन सब पर एक कविता....कल के लिए.....।
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5 comments:
मैने भी एक कविता लिखी थी। इसी शीर्षक की जो यहा है ।
http://merekavimitra.blogspot.com/2006/10/blog-post_09.html
"...अब बदहवास सा दौड़ना और घिघिया कर लोगों से काम कराना ज़रूरी कामों में शामिल हो गया है .. ."
हमहूँ बदहवास सा दौड़त आईन हैं व घिघिया कर बोलत हैं - नियमित लिखें - अब जब सुरू कह ही दिए हैं तो.
हिन्दी ब्लॉगिंग की शुभकामनाएँ व स्वागत्.
किसी पर तो लिखिये कविता…!!
मेरे ब्लौग पर छोडे टिप्पणी से तो लगता है आप किसी पर भी लिख सकते हैं कविता।
वाह क्या बात है, ब्लाग के बहाने पुराने साथियों से मुलाकात हो रही है लेकिन मुश्किल यह है कि कोई अपना नाम ही नहीं बता रहा, न तो टिप्पणी में और न ही अपने खुद के प्रोफाइल पर। नाम बताइए बंधु.......
बहरहाल कविता अच्छी लगी।
जिस पर लिखने के लिए मन करे और जरूरत महसूस हो उस पर लिखते रहिए,
वैसे,
यह अच्छी कविता है
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