Saturday, March 10, 2007

गड्ढे में गिरा बच्चा न्यूज चैनलों की किस्मत से?

भूचाल मचाते टीवी चैनल
जैसे ही न्यूज चैनलों को पता चला कि... कुरुक्षेत्र में एक बच्चा 53 फुट गहरे गड्ढे में गिर गया है.. सभी ने अपने-अपने ओबी वैनों को मौके पर भेज दिया..। बचाव का काम तो दिन में ही शुरू हो गया था .. लेकिन लोगों को ये टीवी पर रात में ही देखने को मिला....। ये अपनी तरह की अलग घटना थी.. लिहाजा टीवी पर इसका प्रसारण रात भर जारी रहा.. और दुनिया के जिन-जिन देशों में भारतीय हिंदी समाचार चैनलों की पहुंच थी.. लोग टीवी के सामने जम गए..। लोगों में उत्सुकता थी.. आखिर कैसे प्रिंस मौत के मुंह से बचकर बाहर निकलता है... । सभी इस घटना को लाइव देखना चाहते थे..। क्या बड़े क्या बच्चे.. सभी रात भर जगे रहे..। बचाव में घंटों लगने थे.. लिहाजा टीवी चैनलों ने लोगों से प्रतिक्रिया लेनी शुरू कर दी...। एक बार फोन आने लगे.. तो फिर ये रुकने का नाम नहीं ले रहा था.. । प्रिंस की सलामती के लिए दुबई, अमेरिका, न्यूजीलैंड समेत न जाने कितने देशों में फोन आने लगे..। भारत में कितने शहरों के दर्शकों ने फोन किया उसकी गिनती नहीं..। कोई कहता.. खुदा ने चाहा तो प्रिंस जरूर बचेगा.. तो कोई कहता ईश्वर ज़रूर बच्चे की मदद करेगा..। लोग फोन पर ही भजन गाने लगे..। इसी बीच किसी पिता की आवाज आती है.. हम लगातार आपके चैनल को देख रहे हैं.. हमारे बच्चे भी साथ बैठे हैं.. और कह रहे हैं.. कि वो तब तक सोने नहीं जाएंगे.. जब तक प्रिंस बाहर निकल नहीं आता..। बच्चे को बचाने की गहरी इच्छा इनमें थी..। जितने भी फोन आए.. हर आवाज में यही इच्छा .. यही कामना थी.. कि किसी भी तरह से प्रिंस बच जाए.. प्रिंस को बचा लिया जाए..।
हर बार दर्शक ये कहना नहीं भूलता था.. कि वो इन चैनलों को बधाई देना चाहता है.. । दर्शक इस बात की भी सराहना कर रहा था.. कि मीडिया इसका लगातार कवरेज कर कितना अच्छा काम कर रहा है..। यूं तो ये कोई उतनी बड़ी घटना नहीं थी.. लेकिन बच्चे को बचाने की कोशिशों ने इसे बड़ा बना दिया...। इस घटना को और भी बड़ा बनाया मीडिया ने.. । जिसके माध्यम से तमाम दर्शकों की संवेदना प्रिंस के प्रति हो गई .. और उनके हाथ प्रिंस की सलामती में उठ खड़े हुए..। जाहिर है.. मीडिया ने साबित किया... कि वो कितना ताकतवर है.. और चाहे तो लोगों की संवेदना को एक दिशा दे सकता है..।

1 comment:

Srijan Shilpi said...

अच्छा लगा अमित, यह देखकर कि तुम भी कूद पड़े चिट्ठाकारी के मैदान में। आख़िर कब तक बचे रह सकते थे? जल्द ही महसूस करोगे कि यह चिट्ठाकारी वह आग है जो लगाए न लगे और बुझाए न बुझे। इसके वायरस बड़ी तेजी से मीडिया के लोगों में फैलते जा रहे हैं और जल्द ही यह महामारी बन कर उभरने वाला है।

अब आ ही गए हो तो फिर टिक के रहना और धुंआधार लिखना।