वो बातें हम जो हम देखते हैं समझते हैं.. लेकिन अक्सर मन में ही रह जाती है जबान पर नहीं आती .. कई बार उसे लिखने और पढ़ने से काफी अपना सा लगता है.. संतोष तभी मिलता है ..