वो बातें हम जो हम देखते हैं समझते हैं.. लेकिन अक्सर मन में ही रह जाती है जबान पर नहीं आती .. कई बार उसे लिखने और पढ़ने से काफी अपना सा लगता है.. संतोष तभी मिलता है ..
Saturday, May 17, 2008
बस 2012 तक जिंदगी?
भाई किसीने वो खबर देखी थी आजतक पर, कि दुनिया 2012 में खत्म हो जाएगी? कुछ पड़ताल की है किसी ने? देखने पढ़ने में काफी रोचक है ये.
कैसे न सुनते. टीवी वाले कान फोड़ फोड़ कर सुना रहे थे-उनकी हालत देखकर लगा कि हाय, जो ४ साल बाद होना है वो आज ही हो जाये. कम से कम इन टीवी वालों से तो छुटकारा मिले. :)
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कैसे न सुनते. टीवी वाले कान फोड़ फोड़ कर सुना रहे थे-उनकी हालत देखकर लगा कि हाय, जो ४ साल बाद होना है वो आज ही हो जाये. कम से कम इन टीवी वालों से तो छुटकारा मिले. :)
अहांक पत्र मिलल...नीक लागल. सकरी हसनपुर एकटा तेसर लाइन छै ई बिरौल होएत बनि रहल छै.आगा जाकं ई लाइन कुशेश्वरस्थान...रोसड़ा...फारबिसगंज तक जाएत...
धन्यवाद
हितेन्द्र कुमार गुप्ता
समझा नहीं, आप क्या कहना चाहते हैं...
आईआईएमसी वाले ब्लॉग का मॉडरेटर हूँ...
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