Sunday, July 13, 2008

क्या बड़ा बेटा मेरा दुश्मन है?

मेरी एक पत्नी है.. एक इसलिए.. कि एक ही है.. और आगे भी वही मेरी पत्नी रहेगी.. तो मेरी एक पत्नी है .. और हमारे दो बेटे हैं ... एक बड़ा और एक छोटा .. बड़ा बेटा सबसे बड़ा है.. और छोटा बेटा छोटकू छोटा है... तो पहले बड़े बेटे का जन्म हुआ.. बाद में छोटे बेटे का.. बड़े बेटे का जन्म इसलिए हो गया .. कि हम जोनों चाहते थे कि हम माता-पिता बनें.. हमसे भी ज्यादा हमारे (मेरे और मेरी पत्नी के) माता पिता.. हमारी मौसी हमारी बुआ और भी जितनी भी महिलाएं हो सकती हैं मेरे परिवार में.. बहनों को लगाकर .. और छोटे बेटे का जन्म बाद में हुआ .. वो चुपके से आ गया ..और जब आ गया तो मैं फौरन मानसिक रूप से तैयार हो गया.. लेकिन मेरी पत्नी को स्वीकार करने में कुछ घंटे ही सही देर लगी.. अब चूंकि बड़ा बेटा बड़ा हो गया है.. सवा तीन साल का .. और छोटे से बड़ा है.. तो मैं शायद ये उम्मीद करता हूं कि वो बड़ा तो हो ही गया .. भले ही अभी छोटा है.. और चूंकि वो बड़ा हो रहा है. तो शरारती होना उसका गुण है.. जो कि मैं उसके जन्म से पहले भगवान से मनाता था कि वो शरारती बने.. इसलिए कभी कभी मेरा हाथ उठ जाता है.. तो भाई साहब उस समय मेरा बड़ा बेटा मेरा दुश्मन हो जाता है (पत्नी के शब्दों में ...नहीं तो मैं उसे नहीं मारता) तो सोचिए मेरे पर क्या बीतती होगी.. पत्नी की शब्दों में छोटे बेटे को मैं अपना मानता हूं. बड़े को नहीं.. क्या ऐसा है क्या ?

2 comments:

Admin said...

.. न न धुस्मन नहीं है.. लेकिन मारियेगा नहीं कभी भी.. ताकि बडा होने पर वो कह सके की मेरे पिता ने मुझ पर कभी हाथ नहीं उठाया.. फिर डरा कर आप किसी को रोक नहीं सकते

नीरज गोस्वामी said...

रोचक और चुटीली पोस्ट...बच्चे पर हाथ उठाना पाप है....
नीरज